Jun 062016
 

ऐ री सखी मोरे पिया घर आए भाग लगे इस आँगन को बल-बल जाऊँ मैं अपने पिया के, चरन लगायो निर्धन को। मैं तो खड़ी थी आस लगाए, मेंहदी कजरा माँग सजाए। देख सूरतिया अपने पिया की, हार गई मैं तन मन को। जिसका पिया संग बीते सावन, उस दुल्हन की रैन सुहागन। जिस सावन

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Oct 072015
 

तू जपले कृष्णा कन्हैया तेरा लगंणा नहीं रुपैया — २ लगंणा नहीं रुपैया , तेरा लगंणा नहीं रुपैया जपले , ओ  जपले , तू जपले कृष्णा कन्हैया तेरा लगंणा नहीं रुपैया। —— जो जपता उसको फल मिलता उसका तो खोटा सिक्का चलता जो जपता उसको फल मिलता उसका तो खोटा सिक्का चलता पार करेंगे ,

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