Dec 062009
Guru Bhakti
धीरज बिना श्रध्दा नहीं, श्रध्दा बिना भक्ति नहीं
भक्ति बिना साईं नहीं, साईं बिना संसार नहीं
भाव बिना पूजा नहीं,पूजा बिना अर्पण नहीं
अर्पण बिना समर्पण नहीं,समर्पण बिना सद्गुरु नहीं
दया बिना कृपा नहीं,कृपा बिना सेवा नहीं
सेवा बिना पुण्य नहीं, पुण्य के बिना गुरु मिलते नहीं
मृत्यु है तो जीवन नहीं, अहम् है तो गुरु नहीं
गुरु बिना मुक्ति नहीं, मुक्ति बिना उधहार नहीं