Sep 232009
 

श्री गायत्री चालीसा भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी । गायत्री नित कलिमल दहनी ॥ अक्षर चौबिस परम पुनीता । इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ॥ शाश्वत सतोगुणी सतरुपा । सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥ हंसारुढ़ सितम्बर धारी । स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ॥ पुस्तक पुष्प कमंडलु माला । शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥ ध्यान धरत

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Sep 232009
 

जय दुर्गे दुर्गति परिहारिणी जय दुर्गे दुर्गति परिहारिणी | शंभु विदारिणी माता भवानी|| आदि शक्ति परब्रह्म स्वरूपिणि जग जननी चहूँ वेद बखानी ब्रह्मा शिव हरि अर्चन कीन्हो ध्यान धरत सुर नर मुनि ग्यानि ||१|| अष्ट भुजा कर खड्ग बिराजे सिंह सवार सकल वरदानी ब्रह्मानंद चरण मे आये भव भय नाश करो महारानी||२||

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