Jan 022009
 

घट घट में पंछी बोलता – कबीर घट घट में पंछी बोलता , आप ही दंडी, आप तराज़ू , आप ही बैठा तोलता , आप ही माली, आप बगीचा , आप ही कलियाँ तोड़ता , सब बन में सब आप बिराजे , जड़ चेतना में डोलता , कहत कबीरा सुनो भाई साधो , मन की

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